Monday, November 23, 2009

मानव शरीर है कंप्यूटर

२१ वीं सताब्दी कंप्यूटर क्रांति व सूचना प्रौद्योगिकी की चरम शताब्दी है, यदि दार्शनिक अंदाज में आध्यात्मिक रूप से परिभाषित करें तो भारतीय दर्शन आसानी से समझ में आ सकता है।
मानव एक कंप्यूटर है-
सगुणात्मक तत्व हार्डवेयर है, जिसके अंतर्गत हैं इन्द्रियां, त्वचा, रक्त, मज्जा, अस्थि आदि।
निर्गुनात्मक तत्व साफ्टवेयर है, जिसके अंतर्गत हैं मन, बुद्धि, आत्मा, अहंकार आदि।
शरीर में मस्तिष्क हार्डडिस्क है, और सारा दारोमदार इसी पर होता है । हार्ड डिस्क को नमी व डस्ट से बचाने को ac या air tite कक्ष की व्यवस्था की जाती है, ईश्वर ने मस्तिष्क की सुरक्षा के लिए सर पर बाल दिए, शास्त्रों ने और ठंडा रखने हेतु चंदन लेपन की व्यवस्था दी, फ़िर भी धूप और शीत से वचाव हेतु सर ढांके रखने की आवश्यकता महसूस की गयी । अधिक तापमान में सिस्टम हंग होने लगता है और उसी तरह दिमाग भी काम करना बंद कर देता है। कभी-कभी बात करते बक्त व्यक्ति भूल जाता है कि वह क्या कह रहा था? यही तो हंग होना है।
जिस तरह हार्ड डिस्क अलग-अलग मैमोरी की होती है उसी तरह मस्तिष्क की भी क्षमता और गति भिन्न-भिन्न है, हार्ड डिस्क का फेल होना ही ब्रेन हेमरेज है। यदि इलाज से सुधर हो गया तो ठीक, वरना मृत्यु।
सगुणात्मक तत्व हार्डवेयर की सारी गतिविधि निर्गुनात्मक तत्व साफ्टवेयर पर निर्भर है, यानि सभी १० इन्द्रियां पूरी तरह मन के अनुसार चलतीं हैं । मन बुद्धि को प्रभावित करता है , आत्मा मुख्य रूप से कंप्यूटर की विंडो है।
कर्मेन्द्रियों-ज्ञानेन्द्रियों के प्रत्येक क्रिया कलाप व अनुभूति मस्तिष्क रूपी हार्ड डिस्क की मैमोरी में save रहती है यानि स्मृति पटल पर अंकित रहती है।
वाइरस- जिस तरह से वाइरस कंप्यूटर को निष्क्रिय कर देता है, उसी तरह संशय, भ्रम और गलतफहमी जैसे वाइरस मानव-जीवन को बर्वाद कर देते हैं। वाइरस विभिन्न computers में प्रयोग की गई फ्लापी, सीडी, पेन ड्राइव या इंटरनेट से आता है, और दूषित मानसिकता वाले लोगों से मिलने-जुलने, कानाफूसी होने से दिमागी वाइरस आते हैं। वाइरस नष्ट करने को एंटी वाइरस स्कैन करना होता है उसी तरह सत्संग, धर्म-शास्त्रों के अध्ययन व चिंतन रूपी स्कैनिंग से संशय, भ्रम और गलतफहमी जैसे तनाव-वाइरस नष्ट होते हैं। समझदार लोग निरंतर करते रहते है सत्संग, धर्म-शास्त्रों के अध्ययन व चिंतन रूपी एंटी वाइरस करते रहते हैं, उनका मस्तिष्क तनावमुक्त रहता है।

Thursday, October 22, 2009

एक नजर में Etawah

भौगोलिक क्षेत्रफल - २४३४ वर्ग किलोमीटर
२३५१२५ वर्ग हैक्टेयर
कृषि योग्य भूमि - १४७५३१ हैक्टेयर
दो फसली भूमि - ८८८६८ हैक्टेयर
गेहूं की फसल का क्षेत्रफल -८७८१६ हैक्टेयर
धान की फसल का क्षेत्रफल - ४४४९१ हैक्टेयर
जनसँख्या कुल - ११.३० लाख , पुरूष-६.१६ लाख , स्त्री -५.१४ लाख
ग्रामीण- ८.९५ लाख , शहरी - २.३५ लाख , अनु.जा.-२.६३ लाख
साक्षर कुल - ४.८१ लाख , पुरूष-३.२७ लाख , स्त्री -१.५३ लाख
तहसील - ५ (इटावा, भरथना, सैफई, जसवंतनगर, चकरनगर)
विकासखंड- ८ - ( महेवा, ताखा, बढ़पुरा, बसरेहर, भरथना, सैफई, जसवंतनगर, चकरनगर )
नगर पालिका - ३ (इटावा, भरथना, जसवंतनगर)
टाऊन एरिया - ३ ( इकदिल, बकेवर,लखना)
पुलिस स्टेशन - १९ (शहरी-६ ग्रामीण-१३)
न्याय पंचायत - ७५
ग्राम पंचायत - ४२०
ग्राम- ६९४
रेलवे स्टेशन - ७ ( बलरई, जसवंतनगर, सराय भूपत ,इटावा , इकदिल , भरथना , साम्हों )
रेल लाइन की लम्बाई - ५६ किलो मीटर
डाकघर-१२३
पक्की सड़क- १५३० किलोमीटर
नदियाँ - १० (यमुना, चम्बल, क्वारी, सेंगर, सिरसा,पहुज,अहनैया, पुरहा, पांडो, अरिंद )

Thursday, August 13, 2009

गणपति

बक्रतुंड महाकाय कोटि सूर्य प्रभसमः ।
निर्बिघ्नम कुरु में देव सर्व कार्येषु सर्वदा ॥
प्रथम पूज्य इष्टदेव बूद्धिप्रदाता गजानन भारतीय चिकित्सा विज्ञानं के परमोत्कर्ष के प्रतीक (सिम्बल) हैं।
माता पार्वती ने अपने शरीर के मैल से उनकी संरचना की। भोलेनाथ ने सर कट कर नवजात गजशिशु का सर जोड़ा। शिव दंपत्ति बहुत बड़े सर्जक थे। क्लोन से उत्पत्ति में आधुनिक विज्ञानं की सफलता से जाहिर है कि गणेश कि उत्पति भेड़ कि स्तन कोशिका से भेड़ शिशु की भांति हुई। इसी तरह अंग प्रत्यारोपण प्रणाली के तहत सर प्रत्यारोपित हुआ।
देवकी के सातवें गर्भ का रोहिणी के उदर में स्थानांतरण (कोख परिवर्तन), सीता की उत्पति (टेस्ट ट्यूब प्रणाली ) के उदाहरण हैं।
सिद्ध है कि चिकित्सा क्षेत्र में भारतीय विज्ञानं पहले काफ़ी उत्कृष्ट था मौजूदा विज्ञानं अभी काफ़ी पीछे है। शास्त्रों के प्रसंगों को कपोल कल्पित कहना अज्ञानता है।