बक्रतुंड महाकाय कोटि सूर्य प्रभसमः ।
निर्बिघ्नम कुरु में देव सर्व कार्येषु सर्वदा ॥
प्रथम पूज्य इष्टदेव बूद्धिप्रदाता गजानन भारतीय चिकित्सा विज्ञानं के परमोत्कर्ष के प्रतीक (सिम्बल) हैं।
माता पार्वती ने अपने शरीर के मैल से उनकी संरचना की। भोलेनाथ ने सर कट कर नवजात गजशिशु का सर जोड़ा। शिव दंपत्ति बहुत बड़े सर्जक थे। क्लोन से उत्पत्ति में आधुनिक विज्ञानं की सफलता से जाहिर है कि गणेश कि उत्पति भेड़ कि स्तन कोशिका से भेड़ शिशु की भांति हुई। इसी तरह अंग प्रत्यारोपण प्रणाली के तहत सर प्रत्यारोपित हुआ।
देवकी के सातवें गर्भ का रोहिणी के उदर में स्थानांतरण (कोख परिवर्तन), सीता की उत्पति (टेस्ट ट्यूब प्रणाली ) के उदाहरण हैं।
सिद्ध है कि चिकित्सा क्षेत्र में भारतीय विज्ञानं पहले काफ़ी उत्कृष्ट था मौजूदा विज्ञानं अभी काफ़ी पीछे है। शास्त्रों के प्रसंगों को कपोल कल्पित कहना अज्ञानता है।
Thursday, August 13, 2009
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